बिलीमोरा एक छोटा सा गाव है. याह के लोग बोहोत अछे और दिल के सच्चे है इस गाव में जाम और आम के बाग है इस गाव में समुद्र तट है इस गाव के लोग अपने आप को बोहोत खुश नशीब मानते है. की हम बिलिमोरा जेसे गाव में पैदा हुये.
इस गाव में दो भाग है इसका कारन आपको बाद में पता चलेगा बिलिमोरा में शुष्मा नाम की एक लड़की रहती है उसे कविता और कहानी लिखने का बोहोत शोख है. ओ जहा भी जाती अपनी बुक साथ लेजाती और कहानी या लिखती और शुष्मा को शांत वतावर बोहोत पसंद है किउ की उसे लिखने में कोई दिक्कत ना आये
एसे वो एक दिन कहानी लिखने केलिए समुद्र बिच पर आती है और रेत में बेथ कर लिखने लग जाती है थोड़ी दूर पर लड़के क्रिकेट खेल रहे होते है. उनमेसे एक लड़के की नजर शुष्मा पर जाती और वो लड़का विशाल है. विशाल सोचने लग जाता है की ये लड़की कोण होगी क्या कर रही है और इसे तो गाव में कभी नही देखा फिर विशाल उसके पास जाने के बहाने धुड रहा था इसी में खेलते खेलते बॉल शुष्मा की पास चला जाता है और विशाल भागते भागते शुष्मा तक पोच जाता है
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और शुष्मा से बॉल मांगता है और शुष्मा है तो लिखने में गुम रहती है विशाल उसे 2 3 बार बोलता है बॉल दो बॉल दो पर शुष्म तो गुम है फिर विशाल उसको हाथ लगाकर बोलता है अरे तुम कहा खोगई में तुमे चिल्ला चिल्ला कर बॉल मांग रहाहू और तुम ध्यान ही नही दे रही वो एसे क्या कर रही हो तब शुष्मा उसे सॉरी बोलती है और कहती है की में लिख रही हु विशाल बोलता है येसा क्या लिख लिखरही हो जिसे तुमे आस पास को है ये भी खयाल नही
शुष्मा पड़े प्यार से कहती है इसे ही तो लिखना कहते है अपने आप में खो जाना और दिल से लिखना विशाल बोलता वाह यार तुम तो बोहोत बड़े writer बनोगे ये बाद शुष्मा को बोह्तो पसंद आई हर कर कहती है तुमारी बात सच हो जाये तो में तुमपे भी बुक लिख डालूंगी…. विशाल हसने लग जाता है और बोलता है मुजपे क्या लिखो गे तुम मेरी लाइफ तो सुखी पड़ी है
शुष्मा एसे बोल देती है फिर क्या हुआ में हरियाली लादुंगी ना विशाल और हसने लग जाता है और बोलता है यार तुम writer के साथ कॉमेडी भी बोहोत करते हो फिर विशाल शुष्मा से पूछता है में कभी गाव में तो कभी नही देखा तुमे शुष्मा कहती है में पढाई केलिए शहर में थी अब पढाई ख़तम होगी इसलिए अपने गाव वापस आगई
विशाल उसे पूछता है की तुम लिखना तो घर में भी कर सकते हो शुष्मा बोलती है नही लिखने केलिए अच्छा वतावर होना चाइये शांत जगा होनी चाइये विशाल बोलता है तो क्या हर रोज तुम याह आती हो शुष्मा बोलती है हा शुष्मा किउ तुम नही आते याह हर रोज खेलने विशाल मु उतर कर बोलता है नही घर वाले काम लगा देते है फिर दोनों की बातचीत अछे से होती है एक दुसरे से अपना नाम पूछते है और एसे में इन दोनों की दोस्ती हो जाती है
दोनों रोज तो नही पर 2 दिन में 4 दिन में मिलते थे फिर एक दिन विशाल google से कविता पढ़के जाता है और शुष्मा को सुनाता है वो शुष्मा को बोहोत पसंद आता है एसे जभी मिलते थे तो एक दुसरे को कहानी और कविताये सुनाते थे एसे ये दोनों कब एक दुसरे को प्यार करने लगे पता ही नही चला
पर इनोने एक दुसरे को बताया नही था डरते थे की कई हमरी दोस्ती तूट ना जाये पर एक दिन विशाल हिमत करके शुष्मा से पूछ ही लेता है और शुष्मा उसे एक आट रखती है में जिसे प्यार करुँगी उसी से शादी भी विशाल बड़े प्यार से बोलता है येसा कोई दिन नही जिस दिन तुमारी याद ना आई हो येसा कोई पल नही जिसमें तुमारी कहानी सुनने का मन ना करे हर वक्त बस तुमे ही सुन ता रहू ये ख्वाइश है मेरी
ये सुन कर शुष्म बोहोत खुश होती है और विशाल के गले लग जाती है एसे दिनों का प्यार बढता गया और रोज मिलते रहे उन दोनों ने शादी करने का सोचा और घर वालो को बताने का पर उस रात गाव में बोहोत बड़ी आग लग गई इस जादा लोग शुष्मा के पापा के तरफ के थे वो मर गये और विशाल के पापा और शुष्मा के पापा दोनों का बोहोत बड़ा झगडा हुआ एक गाव के दो टुकड़े हो गये बिच में दिवार बनाई गई और हर पंचायेत के दिन बोहोत झगडे होते थे यसे में शुष्मा और विशाल मिल नही पाते थे शुष्मा बोहोत रोती और मन ही मन तूट चुकी थी
पर प्यार में कुछ भी जायेस है दोनों किसी तरह मिलने लगे और उने गाव वालो ने देख लिए दोनों की वजा से फिर से बोहोत झगडे हुये उनो ने अपने माता पिता से कहा की हम दोनों शादी करना चाहते है हम प्यार करते है पर पहेले से ही माहोल ख़राब होने की वजसे दोनों की एक ना सुनी गई शुष्मा हर दिन बोहोत रोती और लिखना भी बंद करदिया इस उसके पापा को बोहोत बुरा लगता था तो उसके पापा ने उसके साथ एक झूट बोला शुष्मा से कहा की गाव में जो आग लगी थी वो विशाल के पापा ने लगाई थी किउ वो लोग उसे पसंद नही थे पर शुष्मा माने से रही
फिर शुष्मा के पापा ने विशाल के गाव मेसे एक इंसान को पैसे देकर बुलाया और शुष्मा से झूट बोलने को कहा की वो आग हमने ही लगाई थी पंडरी नाथ के कहने पर विशाल के पापा तब शुष्मा को बोहोत घुसा आता है और उसके पापा से अनुमति लेकर विशाल से मिलने जाती उस दिन शुष्मा विशाल को बोहोत बोलती की तुमरे पापा ने गलत किया पर सच में विशाल के पापा ने आग नही गई थी ये विशाल को पता था इसलिए विशाल को अपने पापा के बारे में गलत सुना पसंद नही था उस दिन दोनों बोहोत झगडे करते और चले जाते है
शुष्मा शादी करने का निर्णय लेती है ये बात कही से विशाल को पता चल जाती है विशाल बोहोत कोशिश करता है पर नही रोक पता एसे में विशाल बोहोत अकेला हो जाता ये कुछ काम धाम नही करता बस उसने लिखी बुक को देख के रोता रहता है विशाल शुष्मा के आने का इंतजार करता है……. 6 साल बाद जब शुष्मा अपने घर आती है तो उसे विशाल की याद आने लग जाती है एसे उसने उसके दोस्तों से पूछा तो उनोने उसके बारे में सब हाकीकत बताई और उस हादसे के बारे में भी बताया की तुमरे पापा ने तुमसे झूट बोला था और उस इंसान से भी मिलते है जिसने पैसे केलिए झूट बोला उसके बाद शुष्मा बोहत तूट चुकी थी और अपने पापा को बोलती है आपने तो अपनी बेटी काही गला घोट दिया
शुष्मा बोहत रोती है और विशाल से मिलने जाती है तो विशाल की बाल और दाड़ी बोहोत बड़ी और एक कम्ब्रे में शुष्मा के बुक को देखते रहता है ये देख शुष्मा बोहोत रोती उसे गले लगाती है और माफ़ी मागती है पर विशाल कहता है अब क्या सब ख़तम हो चूका है और बोहोत रोता है दोनों को देख शुष्मा के पापा अपने आप को कोसते है ये थी शुष्मा और विशाल की गाव वाली love story in hindi
तो दोस्तों ये थी शुष्मा और विशाल की Gav vali love story in hindi दोस्तों अगर आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी तो हमें कमेंट में जरुर बताई ये गा